1950 के पूर्व की अवस्थिति मात्स्यिकी से, आज के सुसज्जित आधुनिकीकृत औद्योगिक गतिविधियों तक, भारतीय समुद्री मात्स्यिकी के विकास का एक लंबा इतिहास है। स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक वर्षों में परंपरागत क्राफ्ट का मोटरीकरण तथा समुद्री क्षेत्र में यंत्रीकरण और मोटरीकरण इन विकास गतिविधियों की विशिष्टताएँ थी। आनुक्रमिक पंचवर्षीय योजनाओं में बढती लागत के साथ, भारतीय समुद्री मात्स्यिकी क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई और इन वर्षों में आधुनिक क्राफ्ट, गियर, फिश फाइंडर तथा अन्य आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के आविष्कार से मत्स्य पकड के विधि तंत्र में भी समूल परिवर्तन हुए हैं। इन विकसित नवीन उपकरणों में इंजन/मोटर और विंचों के होने से इनके प्रचालन केलिए पूरी तरह से अलग तकनीकी विशेषज्ञता अनिवार्य थी और जलयान के सभी कर्मियों केलिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता हुई।
इस दौरान वाणिज्य नौपरिवहन अधिनियम ने सागरगामी मत्स्यग्रहण जलयानों के प्रचालन केलिए सक्षम प्रमाणित कार्मियों की संवैधानिक आवश्यकता की शर्त रखी। 1959 में भारत सरकार ने ‘मात्स्यिकी शिक्षा’ पर एक समिति का गठन किया जिसका दायित्व था, मात्स्यिकी क्षेत्र में मानव शक्ति की आवश्यकता का निर्धारन करना और मत्स्यन विकास गतिविधियों की तरक्की के लिए प्रशिखित मानवशक्ति ले गठन केलिए आवश्यक उपाय संबंधी सुझाव देना।अधिक लिंक
आपको केंद्रीय मत्स्य नौचालन एवं इंजीनियरी प्रशिक्षण संस्थान (सिफनेट) के वेबसाइट में स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। सिफनेट, भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीनस्थ सर्वप्रथम संस्थान है, जो नौचालन विज्ञान, मत्स्यन प्रौद्योगिकी, समुद्री इंजीनियरी तथा इससे संबंधित विषयों में विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर रहा है।
मत्स्यन, नौचालन और समुद्री इंजीनियरी तथा इससे जुडे तटीय स्थापनाओं केलिए आवश्यक तकनीकी मानवशक्ति का सृजन करते हुए सिफनेट इस देश की नील क्रांति को सही दिशा प्रदान करने में अहम भूमिका अदा कर रहा है।
सिफनेट भारत का ऐसा एकमात्र राष्ट्रीय संस्थान और एशिया का सर्वप्रथम संस्थान है जो समुद्रगामी मत्स्यग्रहण जलयानों के प्रचालन के लिए तथा अन्य मात्स्यिकी स्थापनाओं के लिए तकनीकी और प्रमाणीकृत कार्मिकों की आवश्यकता की पूर्ति करता है। अपनी अधिदेशों की पूर्ति केलिए यह संस्थान विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जिनमें कुसाट से संबद्ध बी एफ एस सी (एन एस) और डी जी ई टी/एम एस डी ई, नई दिल्ली की मान्यता प्राप्त वी एन सी और एम एफ सी, प्रमुख पाठ्यक्रम हैं।
नील क्रांति के तहत दक्षता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अधीन सिफनेट ने तटीय राज्यों के मछुवारों को प्रशिक्षण प्रदान करते हुए अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया है।
कोच्ची स्थित हमारे मुख्यालय के अतिरिक्त हमारी दो इकाइयाँ हैं, एक चेन्नई में और दूसरी विशाखपट्टनम में। अपनी स्थापना से लेकर सिफनेट ने गभीर सागर मत्स्यन के लिए प्रशिक्षित मानवशक्ति प्रदान करने वाले एकमात्र संस्थान होने की ख्याति प्राप्त की है।
सिफनेट की विशेष ताकत इस बात में है कि इसके तीनों केंद्रों में गहरे समुद्र में मत्स्यग्रहण में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सुसज्जित जलयान उपलब्ध हैं, कोच्चि में एम वी प्रशिक्षणी, चेन्नई में स्किप्पर-2 और विशाखापत्तनम में एम वी तरंगिनी। अध्ययन काल में प्रशिक्षणार्थियों को इनमें ट्यूणा दीर्घ लाइनिंग, अध:स्थल आनायन, मध्यजल आनायन, जैसे मत्स्यन प्रविधियों, और समुद्र में जलयान के नौसंचालन में तथा समुद्र में इंजनों के प्रचालन और अनुरक्षण में गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
इस संस्थान के शिल्प पाठ्यक्रम आवासीय हैं। अत: सिफनेट के तीनों केंद्रों में उत्कृष्ट छात्रावास सुविधा उपलब्ध है। सिफनेट कोच्ची के मुख्य कैंपस में 2013 में एक नए छात्रावास भवन का उद्घाटन किया गया, जिसमें एक समय पर 150 छात्रों के लिए रहने की सभी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध है।
हमारे वेब में आपका स्वागत है, आवश्यक सूचना के लिए ब्राउस कीजिए, अधिक ब्योरे केलिए संपर्क कीजिए और राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त संस्थान-सिफनेट के विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाइए।