परामर्शदात्री सेवाएं
जब भी आवश्यकता पडे, सिफनेट, विभिन्न संगठनों को मात्स्यिकी, समुद्री इंजीनियरी, समुद्री इलेक्ट्रॉनिकी तथा सीमान्शिप और नाविगेशन के क्षेत्र में अपनी उपलब्ध विशेषज्ञता प्रदान करता है।
1. एलएनजी का उपयोग
फिलहाल, मत्स्यन के क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले डीज़ल और मिट्टी के तेल जैसे महंगे ईंधन के बदले द्रवित प्राकृतिक गैस के उपयोग के लिए वर्ष 2018-2019 के दौरान सिफनेट ने अपनी विशेषज्ञता प्रदान की। यह सेवा केरल विकास और नवाचार रणनीति परिषद, (के-डी आइ एस सी) तिरुवनंतपुरम, केरल को प्रदान की गई थी।
2. सिफनेट की एलपीजी परियोजना
कृषि मंत्रालय, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन विभाग के निदेशानुसार सिफनेट ने पारंपरिक मत्स्यन के क्षेत्र में संचालित आउट बोर्ड मोटर (ओ बी एम) में उपयोग के लिए द्रवित पेट्रोलियम गैस किट की प्रभावकारिता पर साध्यता अध्ययन किया । यह अध्ययन 2006 -2007 के दौरान 9.9 ओ बी एम और 25 एचपी ओबीएम पर अर्तिंगल, केरल में 2 अलग-अलग केंद्रों पर आयोजित किया गया था। अध्ययन एलपीजी और मिट्टी के तेल पर चलने वाले दो-दो 25 एचपी ओबीएम पर और 9.9 एचपी ओबीएम पर अलग अलग से किया गया था। अध्ययन पूरा होने पर सिफनेट द्वारा कृषि मंत्रालय, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन विभाग को इसका परिणाम प्रस्तुत किया गया था।
3. फेरो सिमेंट मत्स्यन नौकाओं का निर्माण
"उप तटीय मत्स्यन नौकाओं के लिए वैकल्पिक निर्माण सामग्री के रूप में फेरो सिमेंट का परिचय" विषय पर हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, एफएओ-भारत परियोजना के तहत वर्ष 1984-85 के दौरान सिफनेट ने फेरो सिमेंट मत्स्यन नौकाओं का निर्माण किया। सिफनेट ने सागर चंद्र (10.5 मीटर स्टर्न ट्रॉलर) और सागर ज्योति (12.8 मीटर स्टर्न ट्रॉलर) नामक दो फेरो सिमेंट नौकाओं का निर्माण श्री सी.डी जोषी, वरिष्ठ अनुदेशक (इलेक्ट्रॉनिकी), पूरा किया और इनमें 1986-1987 के दौरान मत्स्यन प्रचालन किया गया था।