आपको केंद्रीय मत्स्य नौचालन एवं इंजीनियरी प्रशिक्षण संस्थान (सिफनेट) के वेबसाइट में स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। सिफनेट, भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीनस्थ सर्वप्रथम संस्थान है, जो नौचालन विज्ञान, मत्स्यन प्रौद्योगिकी, समुद्री इंजीनियरी तथा इससे संबंधित विषयों में विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान कर रहा है। मत्स्यन, नौचालन और समुद्री इंजीनियरी तथा इससे जुडे तटीय स्थापनाओं केलिए आवश्यक तकनीकी मानवशक्ति का सृजन करते हुए सिफनेट इस देश की नील क्रांति को सही दिशा प्रदान करने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। सिफनेट भारत का ऐसा एकमात्र राष्ट्रीय संस्थान और एशिया का सर्वप्रथम संस्थान है जो समुद्रगामी मत्स्यग्रहण जलयानों के प्रचालन के लिए तथा अन्य मात्स्यिकी स्थापनाओं के लिए तकनीकी और प्रमाणीकृत कार्मिकों की आवश्यकता की पूर्ति करता है। अपनी अधिदेशों की पूर्ति केलिए यह संस्थान विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जिनमें कुसाट से संबद्ध बी एफ एस सी (एन एस) और डी जी ई टी/एम एस डी ई, नई दिल्ली की मान्यता प्राप्त वी एन सी और एम एफ सी, प्रमुख पाठ्यक्रम हैं।
1950 के पूर्व की अवस्थिति मात्स्यिकी से, आज के सुसज्जित आधुनिकीकृत औद्योगिक गतिविधियों तक, भारतीय समुद्री मात्स्यिकी के विकास का एक लंबा इतिहास है। स्वतंत्र भारत के प्रारंभिक वर्षों में परंपरागत क्राफ्ट का मोटरीकरण तथा समुद्री क्षेत्र में यंत्रीकरण और मोटरीकरण इन विकास गतिविधियों की विशिष्टताएँ थी। आनुक्रमिक पंचवर्षीय योजनाओं में बढती लागत के साथ, भारतीय समुद्री मात्स्यिकी क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई और इन वर्षों में आधुनिक क्राफ्ट, गियर, फिश फाइंडर तथा अन्य आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के आविष्कार से मत्स्य पकड के विधि तंत्र में भी समूल परिवर्तन हुए हैं। इन विकसित नवीन उपकरणों में इंजन/मोटर और विंचों के होने से इनके प्रचालन केलिए पूरी तरह से अलग तकनीकी विशेषज्ञता अनिवार्य थी और जलयान के सभी कर्मियों केलिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता हुई। और पढ़ें